D.El.Ed 1st Year School Experience Programme - SEP-1 All Pdf

 जय श्रीराम🙏,

SEP - School Experience Programme

नीचे विद्यालय अनुभव कार्यक्रम (SEP-1) के सभी आवश्यक पीडीएफ का प्रारूप (format) दिया गया है, जिसे आप अपने अनुसार कुछ बदलाव करके चारों फ़ाइलें बना सकते हैं।


Important Link: 

ACTIVITIES PDF - I PDF - II
Observation and Analysis of Classroom Teaching & Activities Click Here SYLLABUS
Action Research Click Here Click Here
School Upgrading Plan Click Here Click Here
Analysis of conversations with children at school Click Here Click Here


बिहार D.El.Ed प्रथम वर्ष स्कूल अनुभव कार्यक्रम (SEP-1):

बिहार में प्राथमिक शिक्षक बनने की राह पर D.El.Ed पाठ्यक्रम एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह दो वर्षीय पाठ्यक्रम सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक अनुभव पर भी जोर देता है, ताकि प्रशिक्षु शिक्षक कक्षा के वास्तविक माहौल के लिए तैयार हो सकें। इसी व्यावहारिक अनुभव का एक अहम हिस्सा है - स्कूल अनुभव कार्यक्रम (SEP)। प्रथम वर्ष में आयोजित होने वाले कार्यक्रम को SEP-1 कहा जाता है।


SEP-1 क्या है?

SEP-1, D.El.Ed पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष का अनिवार्य हिस्सा है। यह प्रशिक्षु शिक्षकों को वास्तविक स्कूल के वातावरण से रूबरू कराने का पहला अवसर होता है। इस कार्यक्रम के तहत, प्रशिक्षु शिक्षकों को कुछ हफ्तों (आमतौर पर लगभग 4 सप्ताह) के लिए सरकारी प्राथमिक या मध्य विद्यालयों में भेजा जाता है। यहाँ उनका मुख्य उद्देश्य सीधे पढ़ाना नहीं, बल्कि स्कूल के समग्र कामकाज, शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं, बच्चों के व्यवहार और शिक्षक की भूमिका का अवलोकन और विश्लेषण करना होता है।


SEP-1 के मुख्य उद्देश्य:

  1. स्कूल के माहौल को समझना: स्कूल की भौतिक संरचना, दैनिक दिनचर्या, प्रार्थना सभा, मध्याह्न भोजन (MDM) व्यवस्था, और अन्य सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों का अवलोकन करना।
  2. कक्षा अवलोकन: अनुभवी शिक्षकों को विभिन्न विषयों को पढ़ाते हुए देखना, उनकी शिक्षण विधियों, कक्षा प्रबंधन तकनीकों और छात्रों के साथ उनके संवाद का अध्ययन करना।
  3. बच्चों को समझना: विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों के व्यवहार, उनकी सीखने की गति, उनकी रुचियों और चुनौतियों का अवलोकन करना।
  4. शिक्षक की भूमिका का अनुभव: एक शिक्षक की दैनिक जिम्मेदारियों, चुनौतियों और स्कूल समुदाय के साथ उनके संबंधों को समझना।
  5. सैद्धांतिक ज्ञान का व्यावहारिक जुड़ाव: पाठ्यक्रम में सीखे गए सिद्धांतों (जैसे बाल मनोविज्ञान, शिक्षण विधियाँ) को वास्तविक कक्षा सेटिंग में देखना और समझना।
  6. अवलोकन और প্রতিফলন कौशल विकसित करना: देखी गई चीजों को व्यवस्थित रूप से दर्ज करना और उन पर चिंतन करना सीखना।


SEP-1 के दौरान गतिविधियाँ:

  • कक्षा अवलोकन: प्रशिक्षु शिक्षक नियमित रूप से विभिन्न कक्षाओं में बैठकर शिक्षकों को पढ़ाते हुए देखते हैं और नोट्स बनाते हैं।
  • शिक्षकों की सहायता: वे कक्षा प्रबंधन, शिक्षण सहायक सामग्री (TLM) तैयार करने, या छोटे समूहों में बच्चों की मदद करने जैसे कार्यों में अनुभवी शिक्षकों की सहायता कर सकते हैं।
  • स्कूल की गतिविधियों में भागीदारी: प्रार्थना सभा, बाल संसद, खेलकूद, या सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अवलोकन करना और संभवतः उनमें सहायता करना।
  • बच्चों से बातचीत: अनौपचारिक रूप से बच्चों से बातचीत करके उनकी पृष्ठभूमि, रुचियों और सीखने के अनुभवों को समझने का प्रयास करना।
  • रिकॉर्ड संधारण: दैनिक डायरी या लॉगबुक बनाए रखना जिसमें दिन-प्रतिदिन के अवलोकन, अनुभव और प्रतिबिंब दर्ज किए जाते हैं।
  • रिपोर्ट तैयार करना: कार्यक्रम के अंत में अपने अनुभवों, अवलोकनों और सीखों को समेकित करते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना।


SEP-1 का महत्व:

SEP-1 प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए नींव का काम करता है। यह उन्हें किताबी ज्ञान से परे जाकर शिक्षा की जमीनी हकीकत से परिचित कराता है। यह कार्यक्रम:

  • शिक्षण पेशे के प्रति समझ विकसित करता है।
  • अवलोकन और विश्लेषण क्षमता को बढ़ाता है।
  • प्रशिक्षुओं में आत्मविश्वास पैदा करता है।
  • उन्हें द्वितीय वर्ष के गहन शिक्षण अभ्यास (SEP-2) के लिए तैयार करता है।
  • सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को पाटने में मदद करता है।


निष्कर्ष:

बिहार D.El.Ed का प्रथम वर्ष का स्कूल अनुभव कार्यक्रम (SEP-1) केवल एक इंटर्नशिप नहीं है, बल्कि यह भावी शिक्षकों के व्यावसायिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण और प्रारंभिक कदम है। यह उन्हें स्कूलों की दुनिया में झाँकने, सीखने और अपने अनुभवों पर चिंतन करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है, जो उन्हें भविष्य में एक प्रभावी और संवेदनशील शिक्षक बनने में सहायता करता है।

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